रैपर बादशाह और जैकलीन फर्नांडिज का नया गाना 'गेंदा फूल' रिलीज होते ही विवादों में पड़ गया। पंजाबी रैप और बंगाली फ्यूजन के इस गाने पर रिलीज के कुछ ही समय बाद ही चोरी का आरोप लगा। बताया गया कि इस गाने के लिरिक्स मूलत: फोक सॉन्ग 'बोरो लोकेर बेटी लो' से मिलते हैं लेकिन बावजूद इसके इसे लिखने वाले रतन कहार को क्रेडिट नहीं दिया गया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो बदशाह को सामने आकर सफाई देने पड़ी। अब बताया जा रहा है कि बादशाह ने रतन कहार को पांच लाख रुपये की मदद दी है।

रैपर बादशाह और जैकलीन फर्नांडिज का नया गाना 'गेंदा फूल' रिलीज होते ही विवादों में पड़ गया। पंजाबी रैप और बंगाली फ्यूजन के इस गाने पर रिलीज के कुछ ही समय बाद ही चोरी का आरोप लगा। बताया गया कि इस गाने के लिरिक्स मूलत: फोक सॉन्ग 'बोरो लोकेर बेटी लो' से मिलते हैं लेकिन बावजूद इसके इसे लिखने वाले रतन कहार को क्रेडिट नहीं दिया गया। जब मामले ने तूल पकड़ा तो बदशाह को सामने आकर सफाई देने पड़ी। अब बताया जा रहा है कि बादशाह ने रतन कहार को पांच लाख रुपये की मदद दी है।


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स तरह के विरोध को देखते हुए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। इसके बाद 10 से अधिक ट्रक बुलाए गए। पुलिस ने शाहीन बाग के प्रदर्शन स्थल के टेंट उखाड़ लिए और सभी को ट्रक में भर कर ले गई। साथ ही पुलिस ने मौके से 20 से भी ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।
'गेंदा फूल' गाने के असली लेखक की बादशाह ने की मदद, अकाउंट में भेजे इतने लाख रुपये
परिवार सहित बॉलीवुड अभिनेता को हुआ कोरोना और सलमान ने मजदूरों के खाते में ट्रांसफर किए रुपये, पांच खबरें एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला, Updated Wed, 08
वर्ष 2020 भारत के स्वास्थ्य सेवा की दृष्टि से चुनौती भरा रहा है ।। फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई हिंसा के समय दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल की स्थिति कौन नही जानता।। वहाँ काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों को हर कोई सलाम कर रहा था ।। जात-पात, जाति-धर्म , सबसे परे होकर जिस प्रकार नर्सिंग साथियो ने अपना जज्बा दिखाया वो सम्माननीय और सराहनीय था।। जहां एक हिंसा से दिल्ली शहर ठहर सा गया, वही दूसरी ओर दिल्ली के सरकारी हॉस्पिटल की नर्सिंग साथी घर परिवार सब कुछ छोड़कर मरीजों की सेवा करते नजर आए ।। ये नर्सिंग कर्मचारियों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने का ही जज्बा है जो न खून का रिश्ता देखता है,और न संबंधों को देखता है।। वो रिश्ता देखता है तो केवल मानवता का , और सेवा भाव का।। जो बिना किसी समय और घड़ी को देखें इसमें जुटे रहते हैं।। आज जहाँ हर तरफ भय, संशय,डर, और ख़ौफ़ के इस वातावरण में लोग घर तक सीमित हैं वहीं नर्सिंग कर्मी बाहर निकलकर सेवा में जुटे हुए है।। शौर्य, त्याग और समर्पण की मूर्ति नर्सिंग कर्मी पहले दिल्ली में हुई हिंसा में सेवा करती हुई और फिर कोरोना वायरस को चुनौती देती नजर आ रही है ।।